छत्तीसगढ़ / कोरिया

छत्तीसगढ़/ जीव-जंतुओं की स्पर्धा: केकड़ा-मछली पकड़ने की होड़, गिलहरी, खरगोश और जंगली मुर्गे ने लगाई दौड़..

चन्द्र चूर्ण सिंह-

 छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में एक अनूठी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है.

मनेन्द्रगढ़ विकासखण्ड से करीब 35 किमी दूर ग्राम पंचायत ताराबहरा के अंतर्गत आने वाले ग्राम बैरागी में होने वाली एक अनूठी प्रतयोगिता कई दशकों से लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है. होली धुलेंडी के एक दिन बाद होने वाली यह अनूठी प्रतियोगिता न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे भारतवर्ष में अपनी तरह की एकमात्र ऐसी प्रतियोगिता है, जिसमें पानी के अंदर केकड़ा एवं मछली दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है.
 
इसके साथ ही खुले मैदान में जंगली खरगोश, गिलहरी की रोमांचक दौड़ होती है, जिसे देखने के लिए स्थानीय लोगो के साथ आस-पास के कई गांवों के लोग काफी संख्या में इकट्ठे होते है. 
 
इस प्रतियोगिता का नशा लोगों पर इस कदर छाया रहता है कि जो भी एक बार इस प्रतियोगिता को देख लेता है, वह हर साल इसे देखने आता है. गांव में तय जगह में एक स्थान पर मौजूद लोगों द्वारा एक बड़ा घेरा बनाया जाता है. इस घेरे में गांव के पुरुष और खिलाड़ी महिलाएं शामिल होती हैं.
 
सीटी बजने के साथ ही गांव के पुरूष वर्ग के लोग हाथ में पकड़े खरगोश और गिलहरी को एक साथ छोड़ते हैं. इन्हें पकड़ने के लिए महिलाओं का समूह इन जानवरों के पीछे जंगल में दौड़ता है.
 
क्या है मान्यता: 

इस खेल के पीछे मान्यता है कि अगर महिलाएं पुरूषों द्वारा छोड़े गए खरगोश और गिलहरी को पकड़ लेती हैं तो गांव में वर्ष भर अकाल नहीं पड़ेगा. वहीं अगर महिलाएं पकड़ने में सफल नहीं हुई तो उन पर जुर्माना भी लगाया जाता है, जिससे मिलने वाली राशि का सामूहिक भोज में इस्तेमाल किया जाता है.
 
महिलाओं के बाद पुरुषों और बच्चों के लिए प्रतियोगिता शुरू होती है, जिसमें गांव के लोगों द्वारा पॉलीथीन लगाकर एक छोटा तालाब बनाया जाता है, जिसमें गांव की महिलाएं नदियों से पकड़कर लाई गई मछली और केकड़े छोड़ देती हैं. इस प्रतियोगिता में सीटी बजाने के बाद पुरुषों को इस तालाब से मछली और केकड़ों को पकड़ना होता है. जो पुरुष सबसे ज्यादा मछली और केकड़े पकड़ता है उसे विजयी घोषित कर दिया जाता है. प्रतियोगिता में भाग लेने वाले खिलाड़ियों और ग्रामीणों के लिए बैरागी गांव के लोगों द्वारा रात में सामूहिक भोज का आयोजन किया गया, जिसमें सभी तबके के लोग उत्साहपूर्ण वातावरण में शामिल हुए. इस परम्परा को लेकर ग्रामीणों का कहना है कि बीते कई दशकों से गांव में यह अनूठी प्रतियोगिता आयोजित होती चली आ रही है. इसमें उनका एक रूपए भी खर्च नहीं होता. गांव के लोग अपनी तरफ से पूरी व्यवस्था करते हैं.
 
अनूठे ओलंपिक में महिलाओं ने बाजी मारी: 
 
जंगल से पकड़कर लाए गए गिलहरी, मुर्गा और खरगोश को पकड़ने के लिए इस बार अनूठे ओलंपिक में महिलाओं ने श्रेष्ठ प्रदर्शन किया. कैलशिया, 55 वर्षीय ने जहां जंगल की ओर तेजी से भागे गिलहरी को पकड़ने में सफलता हासिल की, वहीं 60 वर्षीया बसपतिया ने उम्र को पीछे छोड़ते हुए खेत की सरपट भाग रहे जंगली मुर्गा को दौड़कर पकड़ा. 
गिलहरी और मुर्गा पकड़ने में नारी शक्ति के श्रेष्ठ प्रदर्शन के बाद ताराबहरा की सरपंच बिलशिया भला कहां पीछे रहने वाली थीं, उन्होंने सबसे अधिक मछली और केकड़ा पकड़कर जीत दर्ज की. महिलाओं के श्रेष्ठ प्रदर्शन पर अनूठे ओलंपिक को कवर करने पहुंचे मीडिया कर्मियों ने पुरस्कार स्वरूप नगद राशि देकर उन्हें सम्मानित किया. 
 
क्या मिलती है सिख: 
 
होली पर जहां शहरी क्षेत्रों में आमजन अपने मनोरंजन और उत्साह के लिए कई प्रकार के आयोजन करते हैं, जिनमें भारी भरकम राशि खर्च होती हैं वहीं दूसरी ओर ग्रामीण अंचलों में आज भी ऐसी परंपराएं हैं जिनके माध्यम से ग्रामीण अपना मनोरंजन करते हैं. ऐसे आयोजनों में न बड़ा तामझाम होता है और न ज्यादा खर्च, अगर कुछ होता है तो लोगों का उत्साह उमंग और मस्ती का वह मंजर जिसमें ग्रामीण अपनी सुध-बुध खोकर उत्साह में सराबोर दिखाई देते हैं. 

 

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