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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक भव्य कार्यक्रम के दौरान रविवार को नए संसद भवन को देश को समर्पित किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक भव्य कार्यक्रम के दौरान नए संसद भवन को देश को समर्पित किया है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक भव्य कार्यक्रम के दौरान रविवार को नए संसद भवन को देश को समर्पित किया है। उन्होंने बताया कि नया संसद भवन समय की मांग था, क्योंकि भविष्य में लोकसभा और राज्यसभा की सीटों में वृद्धि होगी। यह नया संसद भवन मौजूदा संसद भवन के पास स्थित होगा।

नए संसद भवन का निर्माण उच्च तकनीकी मानकों पर आधारित होगा और यह एक आधुनिक, प्रगतिशील और प्रतिष्ठित संसद भवन की तस्वीर देगा। यह नया भवन सुरक्षा, टेक्नोलॉजी और सामरिक तत्वों को ध्यान में रखकर बनाया जाएगा। इसका मकसद संसद की कार्यप्रणाली को मजबूत करना, सांसदों को आवास की बेहतर सुविधाएं प्रदान करना और लोगों को संसद की गरिमा और महत्व को प्रतिष्ठित करना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन के बाद श्रमजीवियो को सम्मानित  किया 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन के बाद, उन्होंने भवन के निर्माण में श्रमजीवियों को सम्मानित किया है। श्रमजीवियों की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देते हुए, प्रधानमंत्री ने उन्हें उद्घाटन समारोह में शामिल किया और उनके योगदान का सम्मान किया।पूर्व में, प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को पुष्पांजलि अर्पित की, जिससे उन्होंने गांधी जी के महान योगदान को याद किया। उन्होंने भवन में हवन और पूजा कार्यक्रम में भी साझा भागीदारी की।इसके बाद, प्रधानमंत्री ने संसद भवन में सेंगोल स्थापित कर 20 पंडितों से आशीर्वाद लिए। यह परंपरागत प्रक्रिया उनके संसद भवन में सफलतापूर्वक पूरी हुई।

कुछ रोचक बाते नए संसद भवन के बारे में 

पुराने संसद भवन की तरह ही नए संसद भवन का निर्माण भी एक हिन्दू मंदिर की तर्ज पर ही हुआ है। यह हिन्दू मंदिर भी मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में स्थित है और इसे विजय मंदिर नामक त्रिभुजाकार मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण 11वीं सदी में चालुक्य वंश के राजा कृष्ण और उनके प्रधानमंत्री वाचस्पति द्वारा किया गया था। इस मंदिर को भेल्लिस्वामिन नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ होता है "सूर्य का मंदिर"। इस मंदिर को परमार राजाओं ने पुनर्निर्माण कराया था और इसकी महत्त्वपूर्ण भव्यता के कारण यह इल्तुतमिश से लेकर मुग़ल शासक औरंगजेब तक बार-बार ध्वस्त किया गया। बाद में मराठा शासकों ने इसका जिर्णोद्धार किया।

विजय मंदिर  विदिशा जिले 

इस मंदिर की लंबाई आधा मील तथा चौड़ाई थी और ऊँचाई लगभग 105 गज थी। इसे चर्चिका देवी के रूप में जाना जाता था, जिसका दूसरा नाम विजय मंदिर के रूप में भी जाना जाता रहा है। यह नाम आज भी बीजा मंडल के रूप में प्रसिद्ध है। नए संसद भवन का आकार इस विजय मंदिर के आकार के साथ बहुत मिलता-जुलता है, जो इसे एक आकर्षक और प्रभावशाली संरचना बनाता है।
इसके अलावा, विजय मंदिर का निर्माण चालुक्य वंश द्वारा 11वीं सदी में किया गया था। यह मंदिर भेल्लिस्वामिन नाम से भी पुकारा जाता था, जिसका अर्थ सूर्य का मंदिर होता है। इसे परमार राजाओं ने पुनर्निर्माण करवाया था और इसकी प्रसिद्धि और भव्यता के कारण इसे इल्तुतमिश से लेकर मुग़ल शासक औरंगजेब तक ने बार-बार नष्ट किया। मराठा शासकों ने इसका जिर्णोद्धार किया था।
विजय मंदिर का आकार एक त्रिभुजाकार मंदिर है और इसकी ऊंचाई करीब 105 गज होती थी। अलबरूनी ने इसका पहला उल्लेख सन् 1024 में किया था। इस मंदिर का दूसरा नाम विजया है और यह चर्चिका देवी का मंदिर माना जाता है। यह मंदिर बहुत प्राचीन और महत्वपूर्ण है और राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक के रूप में घोषित किया गया है।

नए संसद भवन का निर्माण
नए संसद भवन का निर्माण भी हिन्दू मंदिर की तर्ज पर हुआ है और इसे एक आदर्श स्थान के रूप में विकसित किया गया है, जो देश की गरिमा और सांस्कृतिक विरासत को प्रकट करता है। नए संसद भवन की वास्तुकला और डिजाइन में हिन्दू मंदिरों के आदर्शों और विशेषताओं का प्रभाव देखा जा सकता है।

नए संसद भवन की इमारत भारतीय संस्कृति, शिल्पकला और वास्तुकला के मूल्यों को महत्व देते हुए बनाई गई है। इसमें संगठित और मधुर समंदरी रंगों का उपयोग किया गया है, जो भारतीय संस्कृति में मंदिरों की पहचान है। इसके द्वारा, नए संसद भवन देश के गर्व और महिमा को प्रकट करता है और इसे विश्वस्तरीय स्तर पर एक उदाहरणीय स्थान बनाता है।इस प्रकार, नए संसद भवन न केवल एक नवीनतम और आधुनिक संसद भवन है, बल्कि एक ऐसा स्थान भी है जो भारतीय संस्कृति और महत्वाकांक्षा को महानतम ढंग से प्रतिष्ठित करता है। 

 

 

 

 

 

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