लालबागचा राजा की पहली झलक सामने आ गई है
गणेश चतुर्थी का पर्व हर साल भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस साल गणेश चतुर्थी का पर्व 7 सितंबर 2024 को शनिवार के दिन मनाया जाएगा। इसी दिन 10 दिनों के गणेश उत्सव का भी आरंभ हो जाता है। गणेश उत्सव का पर्व महाराष्ट्र में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दौरान हर कोई अपने घर में बप्पा की स्थापना करता है और उनकी पूजा करता है। मुंबई में भगवान गणेश का लालबागचा राजा बहुत ही प्रसिद्ध है। लालबागचा राजा के दर्शन के लिए हर साल गणेश चतुर्थी पर भक्तों की भारी भीड़ जमा होती है। इस साल लालबागचा राजा की पहली झलक सामने आ गई है। ।
गणेश चतुर्थी पर लालबागचा राजा के दर्शन का समय 2024)
लालबागचा राजा के दर्शन की शुरुआत- 7 सितंबर 2024
लालबागचा रजा के दर्शन क अंतिम दिन- 16 सितंबर 2024
लालबागचा राजा के चरण स्पर्श और दर्शन का समय- 7 सितंबर को सुबह 6 बजे
लालबागचा राजा के आरती का समय- दोपहर 12 बजकर 30 मिनट से रात के 8 बजे तक
लालबागचा राजा के विसर्जन की तिथि- 18 सितंबर 2024
लालबागचा राजा का इतिहास
लालबागचा राजा के इतिहास की शुरुआत 1934 से होती है। उस समय लालबाग बाजार के आसपास रहने वाले मछुआरों और कारोबारियों ने मिलकर इनकी स्थापना की थी। लालबागचा राजा की मूर्ति कंबली परिवार के कारीगरों द्वारा बनाई जाती है। इस साल लालबागचा राजा की प्रतिमा की ऊंचाई लगभग 18-20 फीट है। ये मूर्ति बहुत ही भव्य तरीके से बनाई जाती है। ये पूरे महाराष्ट्र में संस्कृति की धरोहर मानी जाती है। लालबागचा राजा का पंडाल देश का सबसे प्रसिद्ध पंडाल होता है। इस मूर्ति को बनाने की शुरुआत बप्पा के चरणों से की जाती है। हर साल इस मूर्ति को अलग और अद्भुत तरीके से बनाया जाता है।
लालबागचा राजा की पहली झलक सामने आते ही भक्तों की भारी भीड़ जमा हो गई है। हर कोई बप्पा के इस रूप के दर्शन करना चाहता है। इस प्रतिमा के दर्शन मात्र से भक्तों का मन प्रसन्न हो जाता है और साधक को सुख, शांति की प्राप्ति होती है। लालबागचा राजा के दर्शन करने के लिए लोग पूरे देश से आते हैं। लालबागचा राजा की मूर्ति मुंबई के लोगों की खास पहचना का प्रतिनिधि करती है। इस मूर्ति से वहां के लोगों की आस्था और गर्व दोनों ही जुड़ा होता है।
लालबागचा राजा आरती
जय देव जय देव
शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको
दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको
हाथ लिए गुडलद्दु सांई सुरवरको
महिमा कहे न जाय लागत हूं पादको
जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता
जय देव जय देव
अष्टौ सिद्धि दासी संकटको बैरि
विघ्नविनाशन मंगल मूरत अधिकारी
कोटीसूरजप्रकाश ऐबी छबि तेरी
गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबिहारि
जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता
जय देव जय देव
भावभगत से कोई शरणागत आवे
संतत संपत सबही भरपूर पावे
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे
गोसावीनंदन निशिदिन गुन गावे
जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता
जय देव जय देव
सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची
कंठी झलके माल मुकताफळांची
जय देव जय देव जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव